छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद पर बड़ा प्रहार:छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में दशकों से चल रहे नक्सली संघर्ष में सुरक्षाबलों को एक अभूतपूर्व सामरिक सफलता मिलने की खबर है। यह घटना सिर्फ एक और मुठभेड़ नहीं, बल्कि नक्सलवाद के खिलाफ चल रही लंबी लड़ाई में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है। आंध्र प्रदेश-छत्तीसगढ़ सीमा पर हुए एक सुनियोजित ऑपरेशन में कुल छह माओवादियों को मार गिराया गया है, जिनमें कथित तौर पर उनके सबसे खूंखार कमांडरों में से एक भी शामिल है। आइए इस ऑपरेशन की कहानी और इसके चार महत्वपूर्ण पहलुओं का विश्लेषण करते हैं,

एक करोड़ का इनामी कमांडर हिड़मा ढेर: सबसे बड़ी सफलता
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद पर बड़ा प्रहार:सूत्रों के अनुसार, इस ऑपरेशन की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण उपलब्धि खूंखार नक्सली कमांडर हिड़मा का मारा जाना है। हिड़मा को बस्तर का सबसे दुर्दांत कमांडर माना जाता था और उसके सिर पर एक करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। यदि उसकी मौत की पुष्टि हो जाती है, तो यह सुरक्षाबलों के लिए न केवल एक बड़ी रणनीतिक जीत है, बल्कि यह माओवादी कैडर पर एक गहरा मनोवैज्ञानिक आघात (psychological blow) भी है, जिससे उनके नेतृत्व और ज़मीनी लड़ाकों के बीच विश्वास का संकट पैदा हो सकता है।
सिर्फ हिड़मा ही नहीं, पत्नी समेत पूरा नेतृत्व निशाने पर
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद पर बड़ा प्रहार:यह मुठभेड़ केवल एक व्यक्ति को खत्म करने तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह माओवादी संगठन के शीर्ष नेतृत्व पर एक सुनियोजित “डिकैपिटेशन स्ट्राइक” (नेतृत्व को खत्म करने का प्रहार) थी। खबरों के मुताबिक, इस ऑपरेशन में हिड़मा के साथ उसकी पत्नी राजे भी मारी गई है। इसके अलावा, एक अन्य महत्वपूर्ण नक्सली शंकर भी ढेर हो गया, जो दंडकारण्य स्पेशल ज़ोनल कमेटी (DKSGC) का सदस्य था—यह इस क्षेत्र में माओवादियों की मुख्य रणनीतिक और नेतृत्व इकाई है। कुल छह नक्सलियों का मारा जाना स्पष्ट करता है कि सुरक्षाबलों का निशाना पूरे कमांड स्ट्रक्चर को ध्वस्त करना था ताकि संगठन में अराजकता और लकवे की स्थिति पैदा की जा सके।

अंतर-राज्यीय और सुनियोजित ऑपरेशन: ग्रेहाउंड्स का अचूक निशाना
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद पर बड़ा प्रहार:सोमवार सुबह 6 बजे से 7 बजे के बीच हुई, जिसमें आंध्र प्रदेश के विशेष ‘ग्रेहाउंड’ जवानों ने हिस्सा लिया। हाल के दिनों में सीमावर्ती क्षेत्रों में माओवादी गतिविधियों में वृद्धि की सूचना मिलने के बाद पुलिस ने यह अभियान तेज किया था, जो इस ऑपरेशन की गंभीरता और पूर्व योजना को दर्शाता है।
लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई: ऑपरेशन जारी है
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद पर बड़ा प्रहार:कमांडर हिड़मा और अन्य शीर्ष नेताओं के मारे जाने की खबर के बावजूद सुरक्षाबलों ने अपने अभियान को रोका नहीं है। मुठभेड़ स्थल और आसपास के घने जंगलों में कंघी अभियान (combing operation) लगातार जारी है। राज्य के डीजीपी हरीश कुमार गुप्ता स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं और उन्होंने अभियान को जारी रखने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं। यह कदम यह सुनिश्चित करता है कि इस बड़ी सफलता के बाद क्षेत्र में किसी भी तरह के शक्ति निर्वात (power vacuum) को भरने का मौका न मिले और सुरक्षा बल अपनी पकड़ मजबूत कर सकें।
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद पर बड़ा प्रहार:हिड़मा जैसे दुर्दांत कमांडर का खात्मा निस्संदेह नक्सली आंदोलन की कमर तोड़ने वाला है। हालांकि, संगठन की पुनर्जीवित होने की क्षमता को कम आंकना एक भूल होगी। अब असली सवाल यह है कि क्या सुरक्षा बल इस सामरिक जीत को एक स्थायी रणनीतिक बढ़त में बदल पाएंगे और बस्तर में नक्सलवाद के अंत की पटकथा लिखेंगे?