डॉलर की जगह सोना:वैश्विक अर्थव्यवस्था लंबे समय से अमेरिकी डॉलर पर आधारित रही है। तेल, गैस, तकनीक, अंतरराष्ट्रीय व्यापार—हर क्षेत्र में डॉलर को ही सबसे मजबूत और विश्वसनीय मुद्रा माना जाता रहा है। लेकिन हाल ही में जिस तरह सोना विदेशी मुद्रा भंडार का नया विकल्प बनकर उभर रहा है, उसने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। भारत, आरबीआई (भारतीय रिज़र्व बैंक) और कई अन्य वर्ल्ड सेंट्रल बैंकों ने सोने को डॉलर के स्थान पर विदेशी मुद्रा के रूप में इस्तेमाल करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। यह परिवर्तन न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह अमेरिका की आर्थिक पकड़ और डॉलर की वैश्विक बादशाहत को भी चुनौती देता है।

क्यों कमजोर पड़ रहा है डॉलर का भरोसा?
डॉलर की जगह सोना:दूसरे विश्व युद्ध के बाद से डॉलर को दुनिया की सबसे भरोसेमंद मुद्रा माना जाता रहा है। लेकिन धीरे-धीरे देशों को यह समझ आने लगा कि डॉलर पर ज्यादा निर्भर रहना कभी भी जोखिम बन सकता है।• अमेरिका जब चाहे किसी भी देश पर आर्थिक प्रतिबंध लगा देता है। रूस और ईरान इसके सबसे ताज़ा उदाहरण हैं।• अमेरिका का बढ़ता कर्ज और महंगाई डॉलर की स्थिरता पर सवाल खड़े कर रहे हैं।• वैश्विक तनाव और युद्ध की स्थिति में देश एक सुरक्षित विकल्प तलाशने लगे हैं।यही वजह है कि अब सबकी नज़रें सोने पर टिक गई हैं।
सोना क्यों बन रहा है नया भरोसा?
डॉलर की जगह सोना:सोना हजारों सालों से संपत्ति और शक्ति का प्रतीक रहा है। चाहे संकट कितना भी बड़ा क्यों न हो, सोने की कीमतें लंबे समय में हमेशा बढ़ती रही हैं।• सोना किसी देश या सरकार के भरोसे पर नहीं टिका, बल्कि अपनी खुद की वैल्यू रखता है।• इसे छापा नहीं जा सकता, यानी इसकी कमी (Scarcity) ही इसे कीमती बनाती है।• निवेशक भी आर्थिक संकट के समय सोने में निवेश करना ज्यादा सुरक्षित मानते हैं।इसी वजह से सेंट्रल बैंक सोने की खरीद बढ़ा रहे हैं और अब इसे विदेशी मुद्रा भंडार का हिस्सा भी बना रहे हैं।

भारत और आरबीआई का बड़ा कदम
डॉलर की जगह सोना:भारत हमेशा से सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता रहा है। भारतीय परिवारों के घरों से लेकर मंदिरों तक – सोने का महत्व सिर्फ आभूषण तक सीमित नहीं, बल्कि आर्थिक सुरक्षा का भी है।इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भी अपने विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी बढ़ा दी है। आज भारत के पास 800 टन से ज्यादा सोना है। अब आरबीआई इसे विदेशी लेन-देन और मुद्रा भंडार में डॉलर के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल करने की दिशा में काम कर रहा है।यह कदम भारत के लिए तीन बड़े फायदे लाएगा:• डॉलर पर निर्भरता घटेगी।• वैश्विक व्यापार में भारत की स्थिति मजबूत होगी।• आर्थिक संकट से निपटना आसान होगा।
दुनिया के सेंट्रल बैंक भी सोने की ओर
डॉलर की जगह सोना:भारत अकेला देश नहीं है जो यह रास्ता अपना रहा है।• रूस ने डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए सोने और युआन को प्राथमिकता दी है।• चीन लगातार सोने का भंडारण बढ़ा रहा है ताकि युआन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और ताकत मिल सके।• तुर्की और सऊदी अरब ने भी हाल के वर्षों में सोने की खरीदारी तेज कर दी है।वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट बताती है कि पिछले कुछ सालों में सेंट्रल बैंकों ने सोने की खरीद रिकॉर्ड स्तर पर की है।

क्या सोना सच में डॉलर की जगह ले पाएगा?
डॉलर की जगह सोना:यह सवाल हर किसी के मन में है।• डॉलर अभी भी सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली मुद्रा है और इसके पीछे अमेरिका की ताकत खड़ी है।• लेकिन सोना भी उतना ही मजबूत विकल्प है, क्योंकि इसे न कोई छाप सकता है और न ही इसकी वैल्यू घटती है।संभव है कि आने वाले समय में दुनिया सिर्फ डॉलर पर निर्भर न रहे और सोना, युआन, रुपया और यूरो मिलकर एक नया संतुलन बना दें।
भारत को क्या फायदा होगा?
डॉलर की जगह सोना:भारत को इस बदलाव से बहुत बड़ा लाभ मिल सकता है।• सोना विदेशी मुद्रा का हिस्सा बनते ही भारत की आर्थिक सुरक्षा और बढ़ेगी।• डॉलर के दबाव से छुटकारा मिलेगा।• भारतीय रुपये को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती मिलेगी।आगे की राहअगर आने वाले वर्षों में ज्यादा देश सोने को विदेशी मुद्रा में बदलने लगते हैं तो इसके वैश्विक नतीजे बहुत बड़े होंगे।• डॉलर की मांग कम होगी, जिससे उसकी वैल्यू पर असर पड़ेगा।• सोने की कीमतें और ऊपर जाएंगी।• दुनिया की अर्थव्यवस्था एक नए दौर में प्रवेश करेगी, जहां सिर्फ डॉलर ही नहीं बल्कि कई विकल्प मौजूद होंगे।

निष्कर्ष
डॉलर की जगह सोना विदेशी मुद्रा के रूप में इस्तेमाल होना सिर्फ एक आर्थिक फैसला नहीं है, बल्कि यह आने वाले समय की तस्वीर भी दिखाता है। भारत और आरबीआई का यह कदम न सिर्फ देश के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए अहम है।हो सकता है आने वाले सालों में जब भी अंतरराष्ट्रीय व्यापार की बात होगी, तो सिर्फ डॉलर नहीं बल्कि सोना भी उसी ताकत के साथ सामने खड़ा होगा।