नेपाल में भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने कर्फ्यू का उल्लंघन किया, सरकार ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध हटाया

नेपाल में भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने कर्फ्यू का उल्लंघन किया,नेपाल इस समय एक ऐतिहासिक और संवेदनशील दौर से गुजर रहा है। देश में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन ने अचानक जोर पकड़ लिया है, जिसने न सिर्फ सरकार की नीतियों को हिला दिया, बल्कि जनता और प्रशासन के बीच टकराव की स्थिति भी खड़ी कर दी है। हाल ही में काठमांडू और अन्य बड़े शहरों में हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतरे और उन्होंने सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि प्रशासन को कर्फ्यू लगाने तक की नौबत आ गई। लेकिन इसके बावजूद प्रदर्शनकारियों ने कर्फ्यू का उल्लंघन किया और सरकार से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने तथा पारदर्शिता की मांग दोहराई।

नेपाल में भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने कर्फ्यू का उल्लंघन किया

भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की पृष्ठभूमि

नेपाल में भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने कर्फ्यू का उल्लंघन किया,नेपाल में भ्रष्टाचार कोई नया मुद्दा नहीं है। वर्षों से जनता नेताओं, अफसरशाही और बड़े व्यवसायियों की मिलीभगत से चल रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाती रही है। लेकिन हाल के वर्षों में यह समस्या और भी गहरी हो गई है। विश्व बैंक और ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल जैसी संस्थाओं की रिपोर्टों में नेपाल को उन देशों में शामिल किया गया है, जहां भ्रष्टाचार की जड़ें गहराई तक फैली हुई हैं।नेपाल में भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने कर्फ्यू का उल्लंघन किया,जनता का गुस्सा तब फूटा जब हाल ही में सरकारी खरीद-फरोख्त और बड़े प्रोजेक्ट्स में करोड़ों नेपाली रुपये के घोटाले सामने आए। आरोप लगे कि शीर्ष नेताओं और मंत्रियों ने निजी फायदे के लिए सरकारी खजाने का दुरुपयोग किया। इसके खिलाफ छात्रों, नागरिक संगठनों और आम जनता ने मिलकर आंदोलन शुरू किया।

कर्फ्यू का उल्लंघन और जनता का आक्रोश

नेपाल में भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने कर्फ्यू का उल्लंघन किया,प्रदर्शन जैसे-जैसे बड़े होते गए, सरकार ने हालात काबू में करने के लिए कर्फ्यू का सहारा लिया। राजधानी काठमांडू और प्रमुख शहरों में सेना और पुलिस को तैनात किया गया। इंटरनेट सेवाओं और सोशल मीडिया पर भी अस्थायी रोक लगा दी गई ताकि प्रदर्शनकारियों के बीच संदेशों का प्रसार न हो सके।लेकिन जनता के गुस्से को रोकना आसान नहीं था। हजारों प्रदर्शनकारियों ने कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए सड़कों पर उतरने का साहस दिखाया। उन्होंने सरकार के खिलाफ नारे लगाए, भ्रष्टाचारियों को सजा देने की मांग की और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया।

सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और फिर हटाया गया रोक

नेपाल में भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने कर्फ्यू का उल्लंघन किया,सरकार ने आंदोलन को कमजोर करने के लिए सबसे पहले सोशल मीडिया को निशाना बनाया। फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और टिकटॉक जैसी लोकप्रिय प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया गया। इसका मकसद यह था किनेपाल में भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने कर्फ्यू का उल्लंघन किया, प्रदर्शनकारी आपस में संवाद न कर सकें और विरोध की आग और न फैले।हालांकि यह कदम उल्टा पड़ गया। युवा वर्ग और नागरिक समाज ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया। अंतरराष्ट्रीय संगठनों और पड़ोसी देशों से भी सरकार पर दबाव बढ़ा। नतीजतन कुछ दिनों के भीतर ही सरकार को सोशल मीडिया पर से प्रतिबंध हटाना पड़ा।सोशल मीडिया पर बैन हटते ही आंदोलन और भी तेज हो गया। हजारों युवाओं ने हैशटैग कैंपेन शुरू कर दिया, जिसमें सरकार से इस्तीफे और जवाबदेही की मांग की गई।

जनता बनाम सरकार: टकराव की स्थिति

सरकार का तर्क है कि भ्रष्टाचार से निपटने के लिए पहले से ही कई संस्थाएं काम कर रही हैं। नेपाल में भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने कर्फ्यू का उल्लंघन किया,लेकिन जनता का आरोप हैनेपाल में भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने कर्फ्यू का उल्लंघन किया, कि ये संस्थाएं नेताओं और अफसरों के दबाव में निष्क्रिय हो गई हैं। इसी अविश्वास के चलते लोग सड़कों पर उतरने को मजबूर हुए।पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कई जगह झड़पें भी हुईं। आंसू गैस के गोले छोड़े गए, लाठीचार्ज हुआ और कई लोग घायल हुए। इसके बावजूद लोगों का जोश कम नहीं हुआ।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर

नेपाल में भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने कर्फ्यू का उल्लंघन किया,नेपाल का यह आंदोलन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गया है। संयुक्त राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन और पड़ोसी देश लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। भारत, चीन और अमेरिका जैसे देशों ने नेपाल सरकार से अपील की है कि वह जनता की आवाज सुने और लोकतांत्रिक तरीके से समस्या का समाधान निकाले।

आर्थिक और राजनीतिक असर

भ्रष्टाचार विरोधी इस आंदोलन ने नेपाल की अर्थव्यवस्था पर भी असर डालना शुरू कर दिया है। पर्यटन, जो नेपाल की रीढ़ माना जाता है, आंदोलन और अशांति की वजह से प्रभावित हो रहा है। विदेशी निवेशक भी असमंजस की स्थिति में हैं।राजनीतिक स्तर पर यह आंदोलन सरकार की साख पर सीधा हमला है। विपक्षी दल इसे सरकार की विफलता के तौर पर पेश कर रहे हैं और जल्द चुनाव कराने की मांग भी कर रहे हैं

भविष्य की राह

नेपाल के लिए यह समय बेहद निर्णायक है। यदि सरकार जनता की आवाज दबाने की कोशिश करती रही, तो आंदोलन और भी हिंसक हो सकता है। नेपाल में भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने कर्फ्यू का उल्लंघन किया,लेकिन यदि वह जनता की मांगों को स्वीकार करती है और भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई करती है, तो न सिर्फ लोकतंत्र मजबूत होगा बल्कि सरकार पर जनता का भरोसा भी बहाल होगा।

निष्कर्ष

नेपाल में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन ने यह साबित कर दिया है कि जब जनता एकजुट हो जाए, तो कर्फ्यू, प्रतिबंध और दमन भी उसकी आवाज को नहीं रोक सकते। सोशल मीडिया बैन हटने के बाद यह आंदोलन और व्यापक हो गया है। अब सवाल यह है कि क्या नेपाल सरकार वास्तव में भ्रष्टाचार के खिलाफ ठोस कदम उठाएगी या यह आंदोलन लंबी लड़ाई में बदल जाएगा।नेपाल की जनता ने स्पष्ट कर दिया है कि अब वह भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेगी। आने वाले दिनों में यह आंदोलन न सिर्फ नेपाल की राजनीति, बल्कि उसकी लोकतांत्रिक दिशा को भी बदल सकता है।

• #NepalProtests• #AntiCorruptionMovement• #NepalNews• #SocialMediaBan• #NepalPolitics• #KathamanduProtests• #CorruptionFreeNepal• #NepalDemocracy• #PeoplePower• #NepalUprising

Leave a Comment