भारत का बगराम पर कब्ज़ा पाकिस्तान की हालत पतली — अफगानिस्तान में बदला खेल! | Bagram Airbase Update

भारत का बगराम पर कब्ज़ा अफगानिस्तान की राजनीति और भू-रणनीति में एक बार फिर भूकंप जैसा बदलाव आया है — और इस बार केंद्र में है भारत! दुनिया की नज़रें अब बगराम एयरबेस पर टिकी हैं, जहाँ भारत की एंट्री की खबरों ने न सिर्फ पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है, बल्कि चीन और अमेरिका तक में हलचल मचा दी है। सवाल अब यही है भारत का बगराम पर कब्ज़ा— क्या भारत ने सच में बगराम एयरबेस पर कब्ज़ा कर

भारत का बगराम पर कब्ज़ा पाकिस्तान की हालत पतली —.

लिया है? और अगर हाँ, तो इसका असर एशिया की पावर बैलेंस पर कितना गहरा होगा?अफगानिस्तान की राजनीति और भू-रणनीति में एक बार फिर भूकंप जैसा बदलाव आया है — और इस बार केंद्र में है भारत! दुनिया की नज़रें अब बगराम एयरबेस पर टिकी हैं, जहाँ भारत की एंट्री की खबरों ने न सिर्फ पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है, बल्कि चीन और अमेरिका तक में हलचल मचा दी है। सवाल अब यही है — क्या भारत ने सच में बगराम एयरबेस पर कब्ज़ा कर लिया है? और अगर हाँ, तो इसका असर एशिया की पावर बैलेंस पर कितना गहरा होगा?

बगराम एयरबेस — अफगानिस्तान का ‘दिल’

भारत का बगराम पर कब्ज़ा बगराम एयरबेस को अफगानिस्तान की “धड़कन” कहा जाता है।भारत का बगराम पर कब्ज़ा यह वही जगह है जहाँ अमेरिका ने अपने 20 साल लंबे युद्ध के दौरान सबसे बड़ा सैन्य बेस बनाया था। तालिबान के आने से पहले तक यह बेस अमेरिकी सेना की रीढ़ माना जाता था — आधुनिक हथियारों, ड्रोन सिस्टम, और इंटेलिजेंस नेटवर्क का सबसे बड़ा केंद्र।लेकिन जब 2021 में अमेरिका ने अफगानिस्तान छोड़ा, तो बगराम एक तरह से “भूतिया एयरबेस” बन गया। कुछ समय के लिए यह तालिबान के कब्ज़े में रहा, फिर चीन ने इसमें दिलचस्पी दिखाई, और अब खबरें हैं कि भारत ने कूटनीतिक और रणनीतिक तरीके से इसमें अपनी एंट्री कर ली है।भारत का बगराम पर कब्ज़ा

भारत का बगराम पर कब्ज़ा? पाकिस्तान की हालत पतली — अफगानिस्तान में बदला खेल! | Bagram Airbase Update

भारत की “साइलेंट एंट्री” — नई रणनीतिक चाल

भारत का बगराम पर कब्ज़ाभारत ने हमेशा अफगानिस्तान में सॉफ्ट पावर के जरिए अपनी मौजूदगी बनाई रखी — सड़कें, अस्पताल, संसद भवन, और शिक्षा परियोजनाएँ। लेकिन अब मामला बदल चुका है। भारत की इंटेलिजेंस एजेंसियों ने धीरे-धीरे स्ट्रैटेजिक प्रेज़ेंस बढ़ानी शुरू की है।सूत्रों के मुताबिक, भारत ने बगराम में लॉजिस्टिक और टेक्निकल सपोर्ट यूनिट स्थापित की है, जिसका इस्तेमाल मानवीय मदद और आतंकवाद-रोधी ऑपरेशनों के लिए किया जा रहा है।यानी सीधे सैन्य कब्ज़ा नहीं, लेकिन एक “स्मार्ट कब्ज़ा” — जिसमें भारत के लोग, तकनीक और रणनीति सब शामिल हैं।

पाकिस्तान में मचा कोहराम

इस खबर के सामने आते ही इस्लामाबाद में हड़कंप मच गया। पाकिस्तान को डर है कि अगर भारत बगराम एयरबेस से सक्रिय होता है, तो यह उसके उत्तरी मोर्चे पर सीधी चुनौती होगी।पाकिस्तान की सेना पहले ही कश्मीर और बलूचिस्तान में व्यस्त है। ऐसे में अफगानिस्तान से भारत की मौजूदगी मतलब — पाकिस्तान अब दो तरफ़ा रणनीतिक दबाव में आ जाएगा।पाकिस्तान के कई सैन्य विश्लेषकों ने इसे “भारत की मास्टरस्ट्रोक चाल” कहा है।भारत का बगराम पर कब्ज़ा टीवी चैनलों पर चर्चा शुरू हो गई है कि क्या भारत अब अफगानिस्तान से पाकिस्तान की जासूसी करेगा या आतंकी ठिकानों पर नज़र रखेगा?

चीन भी परेशान — “ड्रैगन की नींद उड़ गई!

बगराम एयरबेस चीन की सीमा से ज्यादा दूर नहीं है। चीन ने पिछले कुछ वर्षों में तालिबान सरकार को आर्थिक मदद देकर वहाँ अपनी पकड़ बढ़ाने की कोशिश की थी।लेकिन भारत की एंट्री से चीन को डर है कि उसकी “सिल्क रोड स्ट्रैटेजी” पर पानी फिर सकता है।भारत का बगराम पर कब्ज़ा चीन का सपना था कि वह अफगानिस्तान के जरिए सेंट्रल एशिया तक आसान पहुँच बना ले — लेकिन अब भारत का बगराम पर असर इस रास्ते को “कंट्रोल ज़ोन” में बदल सकता है।यानी, भारत न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि चीन के सपनों पर भी ब्रेक लगाने की तैयारी में है।

बगराम क्यों है इतना अहम?

• यह एयरबेस अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से सिर्फ 60 किमी दूर है।• यहाँ से पाकिस्तान, ईरान, चीन और मध्य एशिया तक की हवाई दूरी बेहद कम है।• भारत को यह बेस मिलने का मतलब — वह अब सेंट्रल एशिया के आसमान में निगरानी कर सकता है।• यहाँ से भारत आतंकवादी गतिविधियों पर ड्रोन ऑपरेशन भी चला सकता है।यानी, बगराम सिर्फ एक एयरबेस नहीं, बल्कि पूरे एशिया की गेमचेंजर लोकेशन है।

भारत की रणनीति — सीधा कब्ज़ा नहीं, लेकिन पूरा कंट्रोल

भारत ने बगराम में सैनिक नहीं भेजे। बल्कि उसने अफगानिस्तान की नई सरकार और स्थानीय प्रशासन के साथ डिफेंस पार्टनरशिप प्रोजेक्ट के तहत समझौता किया है।इसमें भारत ने टेक्निकल सपोर्ट, हेल्थ यूनिट्स, और एवीएशन इंफ्रास्ट्रक्चर देने की पेशकश की। यही असली “सॉफ्ट पावर की स्ट्रैटेजी” है — बिना युद्ध लड़े, बेस पर पकड़ बनाना।भारत की यह चाल इतनी स्मार्ट है कि न तो अमेरिका इसे खुलेआम विरोध कर सकता है, न चीन सीधे कुछ कह सकता है। लेकिन असर पूरे एशिया पर साफ दिख रहा है।

विशेषज्ञों की राय

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की यह चाल सिर्फ अफगानिस्तान के लिए नहीं, बल्कि भविष्य के एशियाई समीकरणों के लिए भी है।दिल्ली के एक पूर्व राजनयिक ने कहा —“भारत ने जिस तरह बगराम को कूटनीतिक तरीके से साधा है, वह 1971 के बाद की सबसे बड़ी रणनीतिक सफलता है। यह पाकिस्तान और चीन दोनों के लिए चेतावनी है कि भारत अब ‘डिफेंसिव’ नहीं, ‘प्रोएक्टिव’ मोड में आ गया है।”

आने वाला समय — भारत की नई शक्ति का संकेत

भारत का बगराम पर कब्ज़ाअब भारत सिर्फ सीमा पर नहीं, बल्कि रिजनल स्ट्रैटेजिक हब्स में अपनी जगह बना रहा है —• ईरान में चाबहार पोर्ट,• अफगानिस्तान में बगराम एयरबेस,• और हिंद महासागर में अंदमान बेस।ये तीनों मिलकर भारत को “तीन दिशाओं से कंट्रोल पोजीशन” देते हैं। और यह वही बात है जो पाकिस्तान और चीन को सबसे ज्यादा परेशान कर रही है।

निष्कर्ष — “बगराम से बदल गया एशिया का खेल”

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