50% टैरिफ से भी दबाव में नहीं आया भारत तो ट्रंप ने EU देशों को तेल-गैस खरीद भी रोकने, को दिया ऑर्डर!त

50% टैरिफ से भी दबाववैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था में भारत का नाम आज तेजी से उभरते देशों में गिना जाता है। यही कारण है कि दुनिया की महाशक्तियाँ, चाहे अमेरिका हो या यूरोपियन यूनियन (EU), भारत की नीतियों और निर्णयों पर करीबी नजर रखती हैं।

50% टैरिफ से भी दबाव

50% टैरिफ से भी दबाव

हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने EU देशों को एक बड़ा आदेश देते हुए कहा कि अगर भारत अपनी रणनीति पर कायम रहता है और अमेरिकी दबाव को नजरअंदाज करता है, तो उसे कड़े आर्थिक प्रतिबंधों के साथ-साथ तेल-गैस की खरीद पर भी रोक लगाई जाए।यह बयान उस समय आया जब अमेरिका ने भारत पर 50% तक टैरिफ बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन भारत ने अपने फैसलों से पीछे हटने से इनकार कर दिया। इससे यह साफ हो गया कि नई दिल्ली अब किसी भी वैश्विक दबाव के आगे झुकने को तैयार नहीं है।

अमेरिका-भारत टकराव की पृष्ठभूमि

50% टैरिफ से भी दबावओअमेरिकी बाजार पर निर्भरता घटाकर एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के नए बाजार तलाशे।
• “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” अभियानों ने घरेलू उद्योगों को मजबूती दी।
• डिजिटल इकॉनमी और सर्विस सेक्टर ने भारत की विकास दर को बनाए रखा।
50% टैरिफ से भी दबावनतीजा यह हुआ कि टैरिफ के दबाव के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर नहीं पड़ा। यही बात ट्रंप प्रशासन के लिए असहज करने वाली रही

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ट्रंप का EU देशों को आदेश – ‘कड़े प्रतिबंध लगाओ’

50% टैरिफ से भी दबावजब टैरिफ का दांव काम नहीं आया तो ट्रंप ने एक कदम आगे बढ़ते हुए यूरोपियन यूनियन (EU) देशों से अपील की कि वे भारत पर सामूहिक दबाव डालें। इसमें दो प्रमुख बिंदु शामिल थे:• कड़े आर्थिक • • – भारत के साथ तकनीकी और निवेश समझौतों को सीमित करने की कोशिश।• तेल-गैस की खरीद रोकने का दबाव – रूस और ईरान से ऊर्जा आपूर्ति लेने पर भारत को घेरने का प्रयास।ट्रंप का यह कदम साफ दिखाता है कि अमेरिका चाहता है कि EU भी भारत को उसी तरह अलग-थलग करे, जैसे वह रूस या ईरान के खिलाफ करता आया है।भारत की रणनीतिक मजबूतीभारत के लिए ऊर्जा सुरक्षा हमेशा प्राथमिकता रही है।

50% टैरिफ से भी दबावदेश अपनी आवश्यकताओं का 80% से अधिक तेल आयात करता है। ऐसे में किसी एक देश पर निर्भर रहना भारत के लिए जोखिम भरा है।इसी वजह से भारत ने ऊर्जा आयात के लिए “मल्टी-सोर्स पॉलिसी” अपनाई है।• रूस से रियायती दरों पर तेल खरीदना।• ईरान और सऊदी अरब से आयात जारी रखना।• अमेरिका और अफ्रीका से भी गैस की आपूर्ति बढ़ाना।इस संतुलन के कारण अमेरिका और EU के दबाव के बावजूद भारत की ऊर्जा आपूर्ति प्रभावित नहीं हुई।

भारत की रणनीतिक मजबूती

50% टैरिफ से भी दबावभारत के लिए ऊर्जा सुरक्षा हमेशा प्राथमिकता रही है। देश अपनी आवश्यकताओं का 80% से अधिक तेल आयात करता है। ऐसे में किसी एक देश पर निर्भर रहना भारत के लिए जोखिम भरा है।इसी वजह से भारत ने ऊर्जा आयात के लिए “मल्टी-सोर्स पॉलिसी” अपनाई है।• रूस से रियायती दरों पर तेल खरीदना।• ईरान और सऊदी अरब से आयात जारी रखना।• अमेरिका और अफ्रीका से भी गैस की आपूर्ति बढ़ाना।इस संतुलन के कारण अमेरिका और EU के दबाव के बावजूद भारत की ऊर्जा आपूर्ति प्रभावित नहीं हुई।

50% टैरिफ से भी दबावभारत के लिए ऊर्जा सुरक्षा हमेशा प्राथमिकता रही है। देश अपनी आवश्यकताओं का 80% से अधिक तेल आयात करता है। ऐसे में किसी एक देश पर निर्भर रहना भारत के लिए जोखिम भरा है।
इसी वजह से भारत ने ऊर्जा आयात के लिए “मल्टी-सोर्स पॉलिसी” अपनाई है।
• रूस से रियायती दरों पर तेल खरीदना।
• ईरान और सऊदी अरब से आयात जारी रखना।
• अमेरिका और अफ्रीका से भी गैस की आपूर्ति बढ़ाना।
इस संतुलन के कारण अमेरिका और EU के दबाव के बावजूद भारत की ऊर्जा आपूर्ति प्रभावित नहीं हुई।

भारत के लिए ऊर्जा सुरक्षा हमेशा प्राथमिकता रही है। देश अपनी आवश्यकताओं का 80% से अधिक तेल आयात करता है। ऐसे में किसी एक देश पर निर्भर रहना भारत के लिए जोखिम भरा है।
इसी वजह से भारत ने ऊर्जा आयात के लिए “मल्टी-सोर्स पॉलिसी” अपनाई है।
• रूस से रियायती दरों पर तेल खरीदना।
• ईरान और सऊदी अरब से आयात जारी रखना।
• अमेरिका और अफ्रीका से भी गैस की आपूर्ति बढ़ाना।
इस संतुलन के कारण अमेरिका और EU के दबाव के बावजूद भारत की ऊर्जा आपूर्ति प्रभावित नहीं हुई।

EU की दुविधा

³ट्रंप भले ही EU को भारत पर दबाव डालने का आदेश दे रहे हों, लेकिन यूरोप खुद एक बड़ी दुविधा में है।• यूरोप भारत को एक बड़ा बाजार मानता है।• रक्षा, आईटी और ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में भारत और EU के बीच सहयोग लगातार बढ़ रहा है।• EU को यह डर भी है कि अगर वह अमेरिका की बात मान ले, तो भारत एशियाई बाजारों की ओर और तेजी से मुड़ जाएगा।यानी EU के लिए भारत को खोना आसान नहीं है।

वैश्विक राजनीति में भारत की भूमिका

आज भारत सिर्फ एक बाजार ही नहीं, बल्कि एक वैश्विक शक्ति के रूप में देखा जाता है। G20 की अध्यक्षता, अंतरिक्ष कार्यक्रमों की सफलता और तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था ने भारत को दुनिया की नजरों में खास बना दिया है।• भू-राजनीति (Geopolitics): भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिका का महत्वपूर्ण साझेदार है, लेकिन रूस और चीन के साथ भी उसके रिश्ते कायम हैं।• ऊर्जा नीति: भारत ने तेल-गैस आयात के मामले में लचीलापन दिखाया है।वैश्विक मंच: भारत जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और विकासशील देशों की आवाज उठाने में अग्रणी है

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