SS,RRR और बाहुबली एस.एस. राजामौली, यह सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा में भव्यता और बेजोड़ कहानी कहने का एक ब्रांड है। “RRR” और “बाहुबली” जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों के साथ दुनिया भर में भारतीय सिनेमा का परचम लहराने वाले इस मास्टर फिल्ममेकर ने एक बार फिर अपनी अगली मैग्नम ओपस की घोषणा कर दी है। जिस फिल्म को अब तक ‘ग्लोब ट्रॉटर’ कोडनेम से जाना जा रहा था, उसका आधिकारिक नाम है “वाराणसी”, और इसके शुरुआती विवरण इतने महत्वाकांक्षी और आश्चर्यजनक हैंSS,RRR और बाहुबली कि यह उनकी पिछली सभी फिल्मों को बौना साबित कर सकती है।हाल ही में हैदराबाद में हुए एक भव्य इवेंट में इस फिल्म की पहली झलक दुनिया के सामने रखी गई। इस घोषणा से जुड़ी कुछ ऐसी बड़ी बातें सामने आई हैं, जो यह साबित करती हैं कि राजामौली एक और ग्लोबल सिनेमैटिक इवेंट की तैयारी कर रहे हैं। आइए, इन सबसे प्रभावशाली टेकअवे पर एक नज़र डालते हैं।

टाइम-ट्रैवल और पौराणिक कथाओं का अद्भुत मिश्रण
SS,RRR और बाहुबली राजामौली की “वाराणसी” कोई साधारण फिल्म नहीं है। यह एक टाइम-ट्रैवल एडवेंचर फिल्म है, जिसकी जड़ें हिंदू पौराणिक कथाओं में गहराई से समाई हुई हैं। यह कॉम्बिनेशन अपने आप में बेहद महत्वाकांक्षी और अनोखा है, यहाँ तक कि राजामौली जैसे बड़े विज़न वाले निर्देशक के लिए भी। फिल्म का टाइटल “वाराणसी” रखा गया है, जो हिंदू धर्म का आध्यात्मिक केंद्र माना जाता है। यह इस बात पर और ज़ोर देता है कि फिल्म का पौराणिक जुड़ाव कितना गहरा और महत्वपूर्ण होने वाला है।
पैन-इंडियन कास्टिंग और दमदार फर्स्ट लुक
महेश बाबू
SS,RRR और बाहुबली• महेश बाबू: खून से लथपथ एक भयंकर योद्धा के रूप में, जो एक सफेद बैल की सवारी कर रहे हैं और हाथ में त्रिशूल धारण किए हुए हैं। यह सिर्फ एक योद्धा का चित्र नहीं है, बल्कि इसमें भगवान शिव की स्पष्ट iconography है—सफेद बैल (नंदी) और त्रिशूल। यह सवाल खड़ा करता है: क्या उनका किरदार भगवान शिव का एक आधुनिक अवतार है? या एक ऐसा भक्त जो दिव्य शक्ति का आह्वान कर रहा है?
प्रियंका चोपड़ा जोनस (मंदकिनी के रूप में):
• प्रियंका चोपड़ा जोनस (मंदकिनी के रूप में): सरसों के रंग की पारंपरिक साड़ी में, हाथ में एक आधुनिक पिस्तौल लिए, एक चट्टान के किनारे पर संतुलन बनाती हुईं। यह दृश्य परंपरा और आधुनिकता के बीच एक जबरदस्त तनाव पैदा करता है। क्या मंदकिनी दो दुनियाओं या दो अलग-अलग समय-काल के बीच फंसी हुई है? क्या वह एक रक्षक है या एक भगोड़ी? यह एक किरदार की जटिलता को दर्शाता है जो निश्चित रूप से कहानी का एक प्रमुख स्तंभ होगी।ये फर्स्ट लुक महज़ एक्शन और ड्रामा का वादा नहीं करते, बल्कि एक गहरी, प्रतीकात्मक कहानी की ओर इशारा करते हैं।

फिल्म की तरह ही भव्य लॉन्च इवेंट
इस फिल्म की घोषणा हैदराबाद के रामोजी फिल्म सिटी में एक विशाल इवेंट में की गई, जो अपने आप में फिल्म के पैमाने को दर्शाता है। इस इवेंट में हज़ारों फैंस शामिल हुए, जहाँ फिल्म की पहली झलक एक विशाल 110-बाई-130 फुट की स्क्रीन पर दिखाई गई। इवेंट वेन्यू पर वाराणसी शहर की प्रतिकृतियां बनाई गई थीं, और रंगीन रोशनी, शानदार आतिशबाजी और संगीत ने माहौल को एक उत्सव जैसा बना दिया। यह भव्य लॉन्च इवेंट इस बात का संकेत है कि राजामौली की पिछली फिल्मों की तरह, “वाराणसी” को भी एक ग्लोबल सिनेमैटिक इवेंट के रूप में पेश किया जा रहा है।
कहानी सीधे रामायण से प्रेरित
राजामौली ने खुद इस बात की पुष्टि की है कि फिल्म का एक सीक्वेंस हिंदू महाकाव्य रामायण के “एक महत्वपूर्ण प्रसंग” पर आधारित है। यह खुलासा इस बात का पहला ठोस उदाहरण है कि राजामौली अपनी भविष्य की टाइम-ट्रैवल फिल्म में पौराणिक कथाओं को किस तरह से पिरो रहे हैं। एक भविष्य की कहानी को भारत के सबसे पवित्र ग्रंथों में से एक के साथ जोड़ना इसे एक अनूठी गहराई और महत्व देता है। कास्ट के समर्पण और प्रोजेक्ट के महत्व पर ज़ोर देते हुए, महेश बाबू ने कहा:”यह एक ऐसा प्रोजेक्ट है जो ज़िंदगी में एक बार मिलता है। मैं सभी को गौरवान्वित महसूस कराऊंगा। पूरा भारत हम पर गर्व करेगा।”

2027 का काउंटडाउन शुरू
राजामौली की “वाराणसी” में वह सब कुछ है जो एक ऐतिहासिक ब्लॉकबस्टर में होना चाहिए: एक महाकाव्य शैली का मिश्रण, एक पावरहाउस कास्ट, और एक ऐसा पैमाना जो पहले कभी नहीं देखा गया। राजामौली की फिल्में विश्व स्तर पर इसलिए सफल होती हैं क्योंकि वे भारतीय महाकाव्यों में निहित वीरता और भावनाओं के सार्वभौमिक विषयों को शानदार एक्शन के साथ जोड़ते हैं। “वाराणसी” भी इसी परंपरा को आगे बढ़ाती दिख रही है। फिल्म को IMAX फॉर्मेट में 2027 में रिलीज़ करने की योजना है, और अभी से ही इसे लेकर उत्साह चरम पर है। घोषणा के बाद अब एक ही सवाल उठता है: क्या “वाराणसी” एस.एस. राजामौली की अब तक की सबसे बड़ी ग्लोबल ब्लॉकबस्टर बनने की क्षमता रखती है?