COMET लॉन्च,इंटरनेट की दुनिया पर अगर किसी नाम का सबसे ज़्यादा असर रहा है, तो वह है Google। दुनिया के करोड़ों लोग सुबह उठते ही सबसे पहले किसी न किसी जानकारी के लिए गूगल का इस्तेमाल करते हैं। “सर्च” शब्द का पर्याय बन चुका है COMET लॉन्च“गूगल करना”। पिछले दो दशकों में गूगल ने न सिर्फ़ इंटरनेट को आकार दिया, बल्कि पूरी डिजिटल अर्थव्यवस्था को अपने नियंत्रण में लिया।लेकिन आज हालात बदल रहे हैं। तकनीक के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहे भारत ने एक ऐसा ऐलान किया है जिसने पूरी दुनिया को चौंका दिया है—भारत का अपना सर्च इंजन और वेब ब्राउज़र, जिसका नाम है COMET।यह लॉन्च सिर्फ़ एक प्रोडक्ट का आगाज़ नहीं है, बल्कि यह भारत की डिजिटल स्वतंत्रता की घोषणा है। अब सवाल यह उठता है कि क्या वाकई यह गूगल के लिए खतरे की घंटी है? क्या COMET ब्राउज़र भारत को एक नया डिजिटल भविष्य देगा? और सबसे अहम—क्या गूगल का खेल वाकई ख़त्म हो जाएगा?

भारत की डिजिटल क्रांति – दो दशकों का सफर
COMET लॉन्च,भारत में इंटरनेट की कहानी बेहद दिलचस्प है।• 1990 के दशक के अंत में इंटरनेट का प्रवेश हुआ, लेकिन उस समय यह केवल शहरों और कुछ खास तबकों तक सीमित था।• 2000–2010: सस्ते कंप्यूटर और इंटरनेट कैफे के दौर में लोगों ने पहली बार सर्च इंजनों का इस्तेमाल करना शुरू किया। गूगल धीरे-धीरे याहू और रेडिफ जैसी सेवाओं को पीछे छोड़कर भारतीय इंटरनेट का राजा बन गया।• 2010–2020: स्मार्टफोन और जियो जैसी टेलीकॉम क्रांति ने इंटरनेट को गांव-गांव तक पहुंचा दिया। इस दौरान गूगल ने एंड्रॉयड, यूट्यूब और अपने विज्ञापन नेटवर्क के ज़रिए भारत पर पूरा कब्जा जमा लिया।• 2020–2025: डेटा प्राइवेसी,COMET लॉन्च, डिजिटल टैक्स और विदेशी टेक कंपनियों की मोनोपॉली के खिलाफ आवाज़ें उठीं। सरकार ने “डिजिटल आत्मनिर्भरता” की दिशा में कदम बढ़ाए और अब उसी का नतीजा है COMET।भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट यूज़र बेस है। ऐसे में स्वदेशी सर्च इंजन और ब्राउज़र का आना केवल टेक्नोलॉजी का मसला नहीं, बल्कि राष्ट्रीय रणनीति है।

COMET ब्राउज़र क्या है?
COMET सिर्फ़ एक वेब ब्राउज़र नहीं है, बल्कि इसे ऑल-इन-वन डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म कहा जा रहा है। इसे भारत की एक सरकारी-निजी साझेदारी (Public-Private Partnership) के तहत तैयार किया गया है, COMET लॉन्च,जिसमें कई प्रमुख आईटी कंपनियां, IITs और स्टार्टअप्स ने मिलकर काम किया है।मुख्य फीचर्स:• स्वदेशी सर्च इंजन – गूगल की तरह ही, लेकिन भारतीय भाषाओं और लोकल कंटेंट पर ज़्यादा फोकस।• डेटा प्राइवेसी – भारतीय यूज़र्स का डेटा भारत में ही स्टोर होगा, किसी विदेशी सर्वर पर नहीं।•COMET लॉन्च, AI-पावर्ड असिस्टेंट – इसमें AI चैटबॉट और वॉयस सर्च की सुविधा होगी, जो हिंदी सहित 22 भाषाओं में उपलब्ध होगा।• लाइटवेट और फास्ट – धीमे नेटवर्क पर भी काम करने की क्षमता, खासकर ग्रामीण भारत के लिए।• इंटीग्रेटेड ऐप्स – शॉपिंग, पेमेंट्स, न्यूज़ और एजुकेशन प्लेटफ़ॉर्म को सीधे ब्राउज़र से इस्तेमाल किया जा सकेगा।• भारत केंद्रित कंटेंट – भारतीय संस्कृति, शिक्षा और लोकल बिज़नेस को प्राथमिकता मिलेगी।यहां सबसे बड़ी बात है कि COMET को भारत का अपना डिजिटल इकोसिस्टम बनाने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है।

गूगल बनाम COMET – सीधी टक्कर
COMET लॉन्च,अब बड़ा सवाल यह है कि गूगल और COMET में फर्क क्या है?पहलूGoogleCOMETडेटा स्टोरेजविदेशी सर्वर (मुख्यतः अमेरिका)भारत में लोकल सर्वरभाषाई सपोर्टआंशिक भारतीय भाषाएंसभी 22 आधिकारिक भारतीय भाषाएंबिज़नेस मॉडलविज्ञापन आधारित, विदेशी कंपनियों को लाभलोकल स्टार्टअप्स और MSMEs को प्राथमिकताप्राइवेसीकई बार डेटा शेयरिंग विवादों में फंसासख्त डेटा प्रोटेक्शन कानून के तहतAI और कस्टमाइजेशनग्लोबल ऑडियंस के लिएभारतीय ऑडियंस-केंद्रित AI असिस्टेंटलक्षित यूज़रवैश्विक स्तरभारतीय यूज़र (फोकस ऑन लोकल)गूगल की ताकत उसका विशाल डेटा और एल्गोरिथ्म है, लेकिन COMET की ताकत है लोकलाइजेशन और सरकारी समर्थन।

भारत की टेक इंडस्ट्री पर असर
COMET का लॉन्च भारत की टेक इंडस्ट्री के लिए ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है।• COMET लॉन्च,स्टार्टअप्स को नया प्लेटफ़ॉर्म – छोटे भारतीय ऐप्स और वेबसाइट्स को गूगल के सर्च एल्गोरिथ्म पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।• डिजिटल ऐड मार्केट – अभी भारत का डिजिटल ऐड मार्केट गूगल-फेसबुक के कब्ज़े में है। COMET आने के बाद लोकल कंपनियों को विज्ञापन का नया विकल्प मिलेगा।• रोज़गार के अवसर – डेटा सेंटर, AI, साइबर सिक्योरिटी और लोकल कंटेंट क्रिएशन में लाखों नई नौकरियाँ पैदा होंगी।• इंटरनेट का डीसेंट्रलाइजेशन – गूगल जैसी मोनोपॉली टूटेगी और इंटरनेट ज़्यादा लोकतांत्रिक बनेगा।